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KRISHNA PANCHAL @ SANCHORE

I would thank you from the bottom of my heart, but for you my heart has no bottom.......

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Saturday, January 22, 2011

पहली मुलाक़ात की ख़ुशबू


हर बात में महके हुए जज़्बात की ख़ुशबू
याद आई बहुत पहली मुलाक़ात की ख़ुशबू

छुप-छुप के नई सुबह का मुँह चूम रही है
इन रेशमी ज़ुल्फ़ों में बसी रात की ख़ुशबू

मौसम भी हसीनों की अदा सीख गए हैं
बादल हैं छुपाये हुए बरसात की ख़ुशबू

घर कितने ही छोटे हों, घने पेड़ मिलेंगे
शहरों से अलग होती है क़स्बात की ख़ुशबू

होंटों पे अभी फूल की पत्ती की महक है
साँसों में रची है तिरी सौग़ात की ख़ुशबू